Raskhan, raskhan ke dohe
raskhan ke dohe, raskhan ( रसखान के दोहे ) रसखान के दोहे 🙁 raskhan ke dohe ) 1. मानुष हौं तो वही रसखानि, बसों बृज गोकुल गोकुल गांव के ग्वारन। जौ पसु हौं तो कहा बस मेरो, चलो नित नंद की धेनु मंझारन।। पाहन हो तो वही गिरि को, जो धरियो कर छत्र पुरंदर धारन। … Read more