Meera bai in hindi
mira bai life story in hindi
मीराबाई का जीवन परिचय :-
( meera bai )
मीराबाई कृष्ण भक्त थी। मीराबाई का जन्म सन 1498 ईसवी में कुड़की गांव में हुआ था। अधिकतर विद्वान इस बात से सहमत हैं कि मीराबाई का जन्म कुड़की नामक गांव में हुआ था। मीराबाई का विवाह उदयपुर के महाराणा भोजराज के साथ हुआ था। मीराबाई बचपन से ही कृष्ण भक्त में रुचि लेने लगी थी। विवाह के कुछ दिनों बाद ही मीरा के पति भोजराज की मृत्यु हो गई थी। पति के परलोक वास के बाद मीरा की दिन-प्रतिदिन भक्ति बढ़ती गई। मीराबाई मंदिरों में जाकर कृष्ण भक्त और कृष्ण की मूर्ति के सामने नाचती थी और गाती थी। मीराबाई का कृष्ण भक्ति में नाचना गाना राज परिवार को पसंद नहीं आया। कई बार राजपरिवार ने मीरा जी को विष पिलाकर मारने की कोशिश भी की। मीराबाई घरवालों के ऐसे व्यवहार को देखकर बहुत परेशान हो गई थी इसलिए उन्होंने घर छोड़कर वृंदावन चली गई। मीराबाई जहां जाती थी वहां लोगों का उन्हें सम्मान मिलता था।
Meera bai in hindi
मीराबाई द्वारा रचित ग्रंथ :-
( meera bai )
बरसी का मायरा
गीत गोविंद टीका
राग गोविंद
राग सोरठ के पद
मीराबाई जी की भक्ति ( meera bai )
मीरा जी की भक्ति में माधुरी भाव अधिक पाया जाता था। वह अपने इष्टदेव कृष्ण की पूजा अपने पति या प्रीतम के रूप में करती थी। मेरा जी का मानना था कि कृष्ण के अलावा इस दुनिया में दूसरा कोई व्यक्ति ही नहीं है। मीराबाई कृष्ण के रूप की दीवानी हो गई थी।
बसो मेरे नैनन में नंदलाल…..
मीराबाई रैदास को अपना गुरु मानते हुए कहती हैं –
‘गुरु मिलिया रैदास दीन्ही ज्ञान की गुटकी।’
Meera bai in hindi
मीराबाई जी ने अपने बहुत से पदों की रचना राजस्थानी मिश्रित भाषा में की है। मीराबाई जन्मजात का कवित्री ना होने पर भी उन्होंने भक्ति भावना में कवित्री पद को प्राप्त किया है। मीराबाई कृष्ण भक्त थे और उन्हें कृष्ण के अलावा और दूजा कुछ भाता नहीं था मीराबाई की मृत्यु सन 1546 ईस्वी में हुई थी।