Mahatma Gandhi full history
Mahatma Gandhi life story in Hindi
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 ईस्वी में हुआ था। भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवंआध्यात्मिक नेता मोहनदास करमचंद गांधी थे सत्याग्रह के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार के नेता थे। भारत को आजादी दिला कर पूरी दुनिया में जनता के नागरिक अधिकार एवं स्वतंत्रता के प्रति आंदोलन के लिए प्रेरित किया था। उन्हें दुनिया उन्हें आम जनता महात्मा गांधी के नाम से जानती है।
महात्मा गांधी संस्कृत भाषा में अथवा महान आत्मा एक सम्मान सूचक शब्द है। गांधी जी को महात्मा के नाम से सबसे पहले 1915 ईस्वी में राजवेद जीवराम कालिदास ने संबोधित किया था। महात्मा गांधी गुजराती गुजराती भाषा के जाति के थे। इसलिए उन्हें बापू के नाम से भी जाना जाता है।
मोहनदास करमचंद गांधी की जीवनी
मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म पश्चिमी भारत गुजरात के तटीय शहर पोरबंदर नामक शहर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था। मोहनदास करमचंद गांधी का विवाह 1883 में जब वह 13 साल की आयु पूर्ण कर चुके थे तब 14 साल की कस्तूरबा बाई के साथ उनका विवाह हुआ था या विवाह उनके माता-पिता द्वारा तय किया गया था।
मोहनदास करमचंद गांधी और कस्तूरबा के चार संतान हुई थी जो सभी पुत्र थे। मोहनदास करम चंद्र गांधी ने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में कानूनी की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गए थे। भारत छोड़ते समय जैन बिच्छू के समक्ष हिंदुओं को मांस शराब तथा संकीर्ण विचारधारा को त्यागने के लिए अपनी माता जी को दिए गए एक वचन ने उनके शाही राजधानी लंदन में बिताए गए समय को काफी प्रभावित किया गया था।
दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी को भारतीयों पर भेदभाव का सामना करना पड़ा था। आरंभ में उन्हें प्रथम श्रेणी कोच की वैध टिकट होने के बाद तीसरी श्रेणी के डिब्बे में जाने से इनकार करने के लिए ट्रेन से बाहर फेंक दिया गया था। यात्रा में अन्य भी कई कठिनाइयों का सामना महात्मा गांधी जी को करना पड़ा। अफ्रीका में कई होटलों को उनके लिए वर्जित कर दिया गया इसी तरह बहुत सी घटनाएं हैं जो उनके साथ अफ्रीका में घटी थी।
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का संघर्ष
1914 ईस्वी में गांधीजी दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस लौटे। इस समय तक गांधी एक राष्ट्रवादी नेता और संयोजक के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। गोपाल कृष्ण गोखले के कहने पर भारत आए थे और शुरुआती दौर में गांधी के विचार बहुत हद तक गोखले के विचारों से प्रभावित थे। भारत आने पर उन्होंने चंपारण और खेड़ा सत्याग्रह आंदोलन चलाया।
असहयोग आंदोलन में गांधीजी का मानना था कि भारत में अंग्रेजी हुकूमत भारतीयों के सहयोग से ही हो रही है अगर हम सब मिलकर अंग्रेजो के खिलाफ हर बात पर आ सहयोग करें तो आजादी संभव है। लोकप्रियता ही उन्हें कांग्रेसका सबसे बड़ा नेता बना दिया और अंग्रेजो के विरुद्ध संयोग अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार जैसे अस्त्रों का प्रयोग कर सकें इसी बीच जलियांवाला नरसंहार ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी थी।
आपका हमारी पोस्ट पर आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद।